रायपुर:राजीव भवन में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने कहा कि समर्थन मूल्य पर उपार्जित संपूर्ण धान की मिलिंग कराने तथा सुरक्षा एवं रख रखाव में राज्य सरकार के असफल रहने के कारण एक हजार करोड़ से अधिक का धान नष्ट- खरीफ फसल 2023 के धान की खरीदी के दौरान ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार आ गई थी। कांग्रेस की सरकार के सुशासन के कारण प्रदेश के किसानों के द्वारा इतिहास का सर्वाधिक धान उत्पादन किया गया। इसीलिए समर्थन मूल्य पर अब तक की सर्वाधिक 144 लाख 92 हजार मैट्रिक टन धान की खरीदी हुई। जो अनुमानित मात्रा 130 लाख मीट्रिक टन से 15 लाख मीट्रिक टन अधिक थी। राज्य सरकार द्वारा धान की इस मात्रा के भंडारण, मिलिंग तथा चावल के उपार्जन एवं भंडारण की कोई कार्ययोजना नहीं बनाई गई। भारतीय जनता पार्टी की लचर सरकार के कुशासन के कारण इस संपूर्ण धान की न तो समय पर मिलिंग हुई और न ही खरीदी केन्द्रों तथा संग्रहण केन्द्रों पर बचे हुए धान की सुरक्षा एवं रखरखाव की समुचित व्यवस्था की गई। इसका दुष्परिणाम यह हुआ है कि दिनांक 02 सितंबर 2024 की स्थिति में धान खरीदी केन्द्रों से 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान का उठाव तथा संग्रहण केन्द्रों से 21 लाख 77 हजार 470 क्विंटल धान का उठाव नहीं किया जा सका है। खरीदी केन्द्रों पर जो 4 लाख 16 हजार 410 क्विंटल धान शेष दिख रहा है वह पूरी तरह से नष्ट हो चुका है, इस धान की कुल लागत 166 करोड़ 56 लाख रूपये होती है यह शुद्ध रूप से राष्ट्रीय क्षति है। संग्रहण केन्द्रों में शेष धान 21 लाख 77 हजार 470 क्विंटल की कुल लागत 870 करोड़ 99 लाख रूपये होती है, इसमें से भी अधिकांश धान पानी से डैमेज हो चुका है, इसलिए कस्टम मीलिंग के लिए राईस मिलर्स इसका उठाव नहीं कर रहे हैं। कुल मिलाकर 1 हजार 37 करोड़ 55 लाख रूपये का धान खराब हुआ है। *जिलेवार जानकारी दे रहा हूँ।* जिला मुंगेली में उपार्जन केन्द्रों पर सर्वाधिक धान 26 करोड़ लागत मूल्य का 65154 क्विंटल नष्ट हुआ है। जिला कबीरधाम में 16 करोड़ का 39744 क्विंटल, जिला बिलासपुर में 15 करोड़ का 36310 क्विंटल, जिला बालोद में 10 करोड़ का 25723 क्विंटल, जिला बेमेतरा में 11 करोड़ 26436 क्विंटल, जिला बलौदाबाजार में 19 करोड़ का 46332 क्विंटल, जिला खैरागढ़ में 6 करोड़ का 15108 क्विंटल, जिला जशपुर में 7 करोड़ का 16464 क्विंटल, जिला कोरिया में 5 करोड़ का 11705 क्विंटल, जिला कांकेर में 19 करोड़ का 47113 क्विंटल, जिला बीजापुर में 6 करोड़ का 13988 क्विंटल, जिला कोंडागांव में 6 करोड़ का 12992 क्विंटल जिला बस्तर, सुकमा, रायगढ़, सारंगढ़, राजनांदगांव, खैरागढ़, गरियाबंद, महासमुंद, बलरामपुर, तथा सरगुजा में भी भारी मात्रा में उपार्जन केन्द्रों पर धान नष्ट हुआ है। इसी प्रकार विपणन संघ के जिला बस्तर, दुर्ग, राजनांदगांव, बलौदाबाजार, धमतरी तथा गरियाबंद में बड़ी मात्रा में धान शेष है जो कि वर्षा के पानी से बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है और इस धान की मिलिंग करके यदि चावल बनाया जाएगा तो वह मानव के खाने योग्य नहीं होगा, वह चावल या तो पशु आहार बनाने के काम आएगा अथवा शराब बनाने के काम आएगा। उपार्जित धान में से कुल 142 लाख 32 हजार 735 मीट्रिक टन धान कस्टम मिलिंग करने के लिए राइस मिलर्स को जारी किया गया है। धान की इस मात्रा का 67 प्रतिशत अर्थात् 95 लाख 35 हजार 932 मीट्रिक टन अरवा चावल एफ.सी.आई. तथा नागरिक आपूर्ति निगम में जमा हो जाना चाहिए था, परंतु 02 सितम्बर 2024 तक 68 लाख 21 हजार 77 मैट्रिक टन चावल ही जमा हुआ था अर्थात् 27 लाख 14 हजार 855 मैट्रिक टन चावल जमा नहीं हुआ है इस चावल का कुल मूल्य 10 हजार 27 करोड़ 32 लाख रूपये होता है। केंद्र तथा राज्य सरकार दोनों ही चावल का भंडारण करने के लिए पर्याप्त गोदामों की व्यवस्था करने में असफल रहे हैं। इसलिए भी धान…