+91 XXXXXXXXXX contact@chouranews.com
Thursday, October 3, 2024
दुनिया

द्वारका सागर में शोध एवं उत्खनन से मिले हैं, रोचक वस्तुएँ और तथ्य

110views
Share Now

नई दिल्ली:’श्रीमद्भागवत महापुराण’ और महाकाव्य ‘महाभारत’ के अनुसार, कृष्ण द्वारा कंस का वध करने से मगध का शासक जरासंध क्रोधित हो गया, क्योंकि कंस उसकी दो पुत्रियों अस्ति और प्राक्षी का पति था.जरासंध ने 17 बार मथुरा पर आक्रमण किया, हर बार कृष्ण और बलराम ने अपने शहर की रक्षा की. जरासंध ने जब 18वीं बार हमला किया तो मथुरा की हार निश्चित लगने लगी तब कृष्ण नगरवासियों सहित द्वारका आ गए और उन्होंने यहां नया नगर बसाया.धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कृष्ण ने एक नया शहर बसाने के लिए समुद्र से 12 योजन (एक योजन- सात से आठ किलोमीटर) भूमि प्राप्त की थी.शहर का निर्माण देवताओं के वस्तुकार विश्वकर्मा ने किया था. मान्यता के मुताबिक शहर में कृष्ण की 16 हजार 108 पत्नियों के लिए महल और नगरवासियों के लिए घर बनाए गए थे.मथुरा छोड़ने के चलते ही कृष्ण को रणछोड़ नाम से जाना गया है जबकि द्वारका के संस्थापक के तौर पर उन्हें द्वारकाधीश भी कहा जाता है.हिंदू मान्यता के अनुसार, भगवान राम विष्णु के सातवें अवतार थे और ‘रामायण’ उनकी जीवनी है. वे ‘मर्यदा पुरुषोत्तम’ थे जबकि कृष्ण ‘पूर्णपुरुषोत्तम’ थे. उनकी मृत्यु के बाद द्वारका में जलप्रलय आ गया.

हिंदू मान्यता और महाभारत काल की किंवदंतियों के मुताबिक़ इस शहर की स्थापना मूल रूप से भगवान कृष्ण ने की थी और उनकी मृत्यु के बाद यह पानी में डूब गया था.देवभूमि द्वारका गुजरात के आधुनिक द्वारका ज़िले में अरब सागर के तट पर स्थित है. इसके डूबने का सही समय का अनुमान लगाना एक मुश्किल काम है लेकिन परिस्थितिजन्य ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जिनके बारे में अनुमान लगाया जा सकता है.भारत सरकार के पुरातत्व विभाग ने द्वारका सागर में शोध एवं उत्खनन कार्य किया है, जिससे कुछ रोचक वस्तुएँ और तथ्य सामने आए हैं.

हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ श्रीमद्भागवत महापुराण में कृष्ण के जन्म, पालन-पोषण, कंस-वध, मथुरा वापसी, पलायन, द्वारका की स्थापना, पराक्रम और यादवों के पतन का उल्लेख है. इसके अलावा ‘महाभारत’ और ‘विष्णुपुराण’ समेत अन्य ग्रंथों में भी उनके बारे में इन बातों का उल्लेख मिलता है

Share Now

Leave a Response