रायपुर:गुरु एक तत्व है जो श्रद्धा से प्रकट होता है, जैसे-जैसे साधक के मन में श्रद्धा जागृत होने लगती है वैसे वैसे व्यक्ति गुरु के ज्ञान का अधिकारी बनने लगता है।
जीवन सिद्धि अर्थात जीवन की सार्थकता के लिए यदि आप गुरु के गलियारे में आना चाह रहे हैं तो आप की पोटली में कुछ चीजें पहले से होनी चाहिए जैसे- श्रद्धा, समर्पण, संकल्प और निरंतरता। क्योंकि बिना इन चीजों के गुरु तत्व जागृत नहीं होता व ज्ञान की सिद्धि नहीं हो सकती…और बिना गुरु तत्व के परमात्मा भी साकार नहीं होगा।
*गुरु वह सत्ता है जो अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाये। जो दुर्लभ को सुलभ कर दे। जो जीवन के सार्थक मूल्यों को उजागर कर दे। जो मनुष्य को मनुष्यता का बोध करा दें।
वैसे हमारे ऋषि- संतों का चरित्र, हमारे सनातन संस्कृति के गीता रामायण जैसे पवित्र ग्रंथ, हमारे माता- पिता व अच्छे व विवेकवान मित्र, और जहां से भी हम कुछ अच्छा सीखते हैं जिससे हमारा विवेक ज्ञान जागृत होता है और जो हमारी आत्मोन्नति में सहायक होता है वो सभी गुरु स्वरूप ही है।
गुरु पूर्णिमा के शुभ अवसर पर
*गुरु सत्ता को नमन करने का दिन आषाढ़ शुक्ल पक्ष गुरु पूर्णिमा आपके लिए मंगलकारी रहे💐*