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कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने बताया जैविक खेती की बारीकियां

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अम्बिकापुर;: अदाणी फाउंडेशन द्वारा क्षेत्र के किसानों को उन्नत कृषि के उद्देश्य से दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), अम्बिकापुर में आयोजित किया गया। सोमवार और मंगलवार को आयोजित इस कार्यक्रम में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के सामाजिक सहभागिता के तहत जिले के उदयपुर विकासखंड के ग्राम साल्ही, घाटबर्रा, फतेहपुर, तारा और बासेन गांवों से कुल 74 किसानों को केवीके, अम्बिकापुर का दौरा कराया गया। किसानों को उनकी रुचि और इंटरैक्टिव सत्र हेतु डिजाइन किये गए इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के पहले दिन वैज्ञानिक और मास्टर ट्रेनर (मशरूम) श्रीमती सुरभि द्वारा मशरूम की खेती की आधुनिक जानकारी कुल 34 महिलाओं से साझा की गई।

टिकरापारा साल्ही की अनासो देवी ने मशरूम की खेती का प्रशिक्षण सफलतापूर्वक पूरा करने पर कहा कि, “इस प्रशिक्षण में बताई गई जानकारी से निश्चित रूप से मैं सीमित बजट में ही मशरूम की अच्छी खेती कर सकूँगी और इसके उत्पादन से मेरे परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी तथा बेहतर जीवन यापन कर सकती हूँ।“

जबकि दूसरे दिन के प्रशिक्षण में शामिल 40 किसानों को सामूहिक जैविक खेती और उसके सिद्धांतों का परिचय, कंपोस्टिंग, वर्मीकम्पोस्टिंग और मृदा संशोधन सहित मृदा प्रबंधन तकनीकों इत्यादि विषयों के बारे में कृषि विज्ञान केंद्र अम्बिकापुर के सहायक वैज्ञानिक डॉ. प्रीतांशा भगत ने जरूरी जानकारी दी। इसके अलावा किसानों को जैविक कीट जैसे एकीकृत कीट प्रबंधन और प्राकृतिक परभक्षी, रोग नियंत्रण के तरीके, फसल चक्र, साथी रोपण, और इंटरक्रॉपिंग रणनीतियाँ, जैव विविधता संरक्षण और लाभकारी कीड़ों और परागणकों की भूमिका तथा जैविक खेती की विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में राष्ट्रीय उद्यान एवं बागवानी बोर्ड रायपुर से पधारे वैज्ञानिक श्री एस.के. शर्मा- उप निदेशक द्वारा बताया गया। इस दौरान किसानों ने जैविक प्रमाणीकरण मानक की आवश्यकता, ब्राडिंग और पैकेजिंग सहित जैविक उत्पादों का विपणन और बिक्री करने के लिए शामिल विभिन्न कदमों की बारीकियों के बारे में जाना।

घाटबर्रा के अदल साई जो की एक प्रमुख किसान हैं ने सामूहिक जैविक खेती पर प्रशिक्षण के अवसर के बारे में अपने विचार साझा करते हुए बताया कि, “ मैं आज बहुत खुश हूँ, मैंने इस प्रशिक्षण में जैविक खेती के महत्व तथा तकनीकों के बारे में जानकारी हासिल किया है। आज के दौर में सामूहीक जैविक खेती किसानों की भूमि की उर्वरता को बनाए रखने के साथ साथ आर्थिक रूप से भी व्यवहार्य है।“

प्रशिक्षण कार्यक्रम में खेती की स्थायी पद्धतियों को बढ़ावा देने और जैविक कृषि का समुदायों के विकास में योगदान के बारे में भी बताया गया । इस अवसर पर श्री अजय सिंह कुशवाहा- उप निदेशक, उद्यान विभाग, अंबिकापुर, डॉ. आर.वी. तिवारी- डीन, राजमोहिनी देवी कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर एंड रिसर्च-अंबिकापुर, डॉ. राजेश चौकसे- प्रमुख वैज्ञानिक और प्रभारी केवीके अंबिकापुर, तथा अदाणी फाउंडेशन से  प्रवीण कुजूर – परियोजना अधिकारी उपस्थित थे।

 

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