बाहर वालों की ताका-झांकी मुर्दाबाद!* *(व्यंग्य : राजेंद्र शर्मा)
रायपुर:देखा, देखा, आ गई न यूरोप वालों की हकीकत सामने। ऊपर-ऊपर से बड़े सभ्य, सुसंस्कृत, डैमोक्रेट वगैरह होने का दिखावा करते हैं। बाकी सारी दुनिया को सभ्यता सिखाने का, सभ्य बनाने का गुमान रखते हैं, पर भीतर से बिल्कुल वही के वही हैं, एकदम मामूली, बल्कि उससे भी घटिया। वर्ना दूसरों के घरों में बेबात में ताका-झांकी करना, किस तरह की सभ्यता की निशानी है? पर ये हैं कि दूसरों के घरों में ताका-झांकी तो कर ही रहे हैं, ताका-झांकी भी कोई छुप-छुपाकर नहीं, दीदा-दिलेरी से कर रहे हैं। दूसरों...