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पीईकेबी खदान के नियमित संचालन के लिए ग्रामीणों ने लगाई, गुहार

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रायपुर: सरगुजा जिले के उदयपुर ब्लॉक में राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड को आवंटित परसा ईस्ट कांता बासन (पीईकेबी) कोयला खदान में उत्पादन अब सितंबर के अंत तक बंद होने की सूचना से स्थानीय ग्रामीणों में अब रोष व्याप्त है। इसके नियमित संचालन का अनुरोध लेकर प्राभावित ग्रामीणों ने आज रायपुर आकर मुख्यमंत्री सहित अब राज्यपाल से भी गुहार लगायी है। ग्राम पंचायत परसा, साल्ही, जनार्दनपुर, फतेहपुर, तारा और घाटबार्रा इत्यादि ग्रामों के 30 से अधिक महिला एवं पुरुष ग्रामीणों का एक समूह सोमवार को रायपुर पहुंचा। जहां ग्रामीणों का यह समूह प्रदेश के मुख्यमंत्री निवास कार्यालय के बाहर प्रदेश के मुखिया  भूपेश बघेल से मुलाकात की जिद्द पर अड़े रहे। उन्होंने मुख्यमंत्री निवास के बाहर घंटों इंतजार किया। वहीं मुख्यमंत्री के न मिलने पर उन्होंने राजभवन जाकर अपनी गुहार लगायी। जहां उन्होंने राज्यपाल  विश्वभूषण हरिचन्दन के कार्यालय में ज्ञापन सौपकर पीईकेबी खदान के लिए चाही गई जमीन का जल्द से जल्द हस्तांतरण कराने का अनुरोध किया वहीं उनसे सौजन्य मुलाकात हेतु आवेदन प्रस्तुत किया।

इन ग्रामीणों का पिछले चार महीने में रायपुर का यह चौथा दौरा है, जब वे प्रदेश के शीर्ष नेताओं को ज्ञापन सौंपाकर खदान को बंद होने से बचाने के लिए अनुरोध किया है। इन्हीं ग्रामीणों का एक समूह अपनी आजीविका बचाने के लिए गत 21 अगस्त को उपमुख्यमंत्री और क्षेत्र के विधायक श्री टी एस सिंहदेव से उनके रायपुर स्थित निवास में सौजन्य मुलाकात कर पीईकेबी खदान के नियमित संचालन के लिए विनती की थी। ग्रामीणों ने ज्ञापन के माध्यम से श्री सिंहदेव से खदान के बंद होने से स्थानीय स्तर के 5000 से अधिक युवाओं के लिए रोजीरोटी का संकट खड़ा होने की बात कही। इस मुलाकात के दौरान उप मुख्यमंत्री  टी. एस सिंहदेव ने ग्रामीणों को यह आश्वासन दिया था कि उनकी इस समस्या का जल्द निराकरण किया जाएगा साथ ही उन्होंने बताया की छत्तीसगढ के आला अधिकारियों के साथ ही दिल्ली तक भी इस मुद्दे पर विचार करने की पहल की जाएगी। किन्तु इस आश्वासन के बावजूद उनकी इस समस्या का कोई समाधान न होने से इन ग्रामीणों ने अब खदान चलाने हेतु जरूरी जमीन के हस्तांतरण का अनुरोध लेकर 11 सितंबर को पुनः रायपुर पहुंचे और प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित राज्यपाल से मिलने के लिए उनके निवास के बाहर डटे रहे।

मीडिया के वहाँ पहुंचने पर उन्होंने अपनी बात रखी। उनमें से साल्ही गांव से आए ग्रामीण मोहर पोंर्ते, सुनींदेर उईके, कृष्णाश्याम और मोहर लाल कुसरो ने बताया कि वे सभी खदान के नियमित संचालन का अनुरोध करने के लिए गत चार महीने से रायपुर आ रहे हैं। यहाँ उन्होंने कई बार ज्ञापन सौंपकर जमीन की अनुपलब्धता के कारण खदान में उत्पादन अब ठप होने की बात कही है। वहीं अब सैकड़ों कर्मचारियों और मशीनों को खदान से बाहर भेजा जाने लगा है।

 

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