दुर्ग:प्रभु श्रीराम की जन्मस्थली अयोध्या में थावे विद्यापीठ द्वारा आयोजित दो दिवसीय भव्य समारोह में नगर के प्रतिष्ठित कवि, लेखक और समाजसेवी उद्योगपति विजय कुमार गुप्ता को उनके साहित्य के क्षेत्र में किए गए उल्लेखनीय कार्य और शोध प्रबंध पर विद्या वाचस्पति पीएचडी की मानद उपाधि प्रदान की गई है।
19 और 20 अक्टूबर को उदासीन आश्रम अयोध्या में हनुमानगढ़ी के प्रमुख संत स्वामी राजू दास और विद्यापीठ के कुलपति डॉ विनय कुमार पाठक के मुख्य आतिथ्य में यह उपाधि प्रदान की गई है। इस अवसर पर अनेक विश्वविद्यालयों के पूर्व कुलपति, देश के सुप्रसिद्ध कवि ओमपाल सिंह निडर और देश भर से आए सौ से अधिक साहित्यकार, प्राध्यापक और शोधार्थी शामिल थे। डॉ विजय गुप्ता के शोध प्रबंध का विषय “राष्ट्रीय चेतना के विकास में हिंदी साहित्य की भूमिका” था।शोधार्थी विजय गुप्ता के शोध सलाहकार श्री सुधीर शर्मा कल्याण कॉलेज भिलाई के हिंदी विभाग अध्यक्ष के तत्वावधान में आलेख संपूर्ण और प्रस्तुत हुआ। उल्लेखनीय है कि डॉ गुप्ता के अब तक पांच काव्य संग्रह लोकार्पित हुए हैं। ताटंक छंद, घनाक्षरी ,दोहा, मुक्तक विधा में कविता सृजन कवि विजय गुप्ता की उपलब्धि है। लायंस क्लब और गहोई समाज के प्रमुख पदाधिकारी रह चुके हैं। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति दुर्ग में वर्तमान में उपाध्यक्ष के दायित्व पालन में हैं। दुर्ग जिला हिंदी साहित्य समिति की अध्यक्ष सरला शर्मा, सचिव बलदाऊराम साहू, डॉ संजय दानी , सुधीर पाटणकर, प्रमोद कुचया, मोहन गुप्ता, दीपक गुप्ता, प्रदीप रूसिया, नंदू बेहरे, ऋषभ जैन, पवन ददरिया, नरेंद्र देवांगन, नीलम जायसवाल,मैत्रीय माथुर, रौनक जमाल, सूर्यकांत गुप्ता, सरिता चंद्रा , साप्ताहिक डिजिटल न्यूज पेपर ग्वालियर के संपादक वरुण कस्तवार, विनोद नीखरा,सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार, सामाजिक बंधुजन, गहोई वैश्य समाज दुर्ग भिलाई पदाधिकारियों मने अनेक बधाइयां दी हैं।
अभी तक कवि विजय कुमार गुप्ता के पांच काव्य संग्रह लोकार्पित हो चुके हैं। हिंदी भाषा के प्रति लगाव एवं सतत साधना से जन हित का उद्देश्य, परिवार, समाज, राष्ट्र की समस्याओं को समाधान के लक्ष्य तक काव्य के माध्यम से पहुंचाना कवि विजय गुप्ता की लेखन विशेषता है। राष्ट्र में हिंदी का महत्व राष्ट्र भाषा दर्जे की अप्राप्ति साहित्यकारों नागरिकों की गहन वेदना है। हिंदी ऐसी भाषा है, जो वक्त ,व्यक्ति, व्यक्तित्व और वक्तव्य के माध्यम से परस्पर देश को समृद्ध करती है। कवि विजय गुप्ता की कविताओं में प्रारंभ से ही उपरोक्त विचाराधीन विषयों पर सृजन कार्य संपादित हुआ है।