देश

सदगुणों के संग्रहण और विकारों का परित्याग से ही हम बन सकते हैं,राम -:डॉ. आदित्य शुक्ल

111views
Share Now

रायपुर :.नवरात्रि व विजयादशमी के पावन अवसर पर छात्रों को प्रेरक व्याख्यान सत्र की श्रृंखला में विप्र महाविद्यालय में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त राम भक्त डॉ .आदित्य शुक्ल( वैज्ञानिक ,कवि ,लेखक एवं प्रेरक वक्त बेंगलुरु) ने ” क्या हम राम बन सकते हैं ?”विषय पर रोचक एवं प्रेरक उद्बोधन में बताया कि सदगुणों के संग्रहण और विकारों का परित्याग कर हम भी राम बन सकते हैं राम को पहले गुरु के रूप में स्वीकार करें और उनके सदगुणों को अपने आचरण में उतार कर अपने दिव्यता को प्रकट करें तब उनके भगवान स्वरूप का हमें अनुभव होगा।डॉ आदित्य शुक्ला ने कहा ग्रंथ और पुराण को पढ़ने या सुनने से मुक्ति नहीं मिलती युक्ति मिलती है और युक्ति का अपने जीवन में उपयोग करने से मुक्ति मिलती है। राम के स्वरूप का स्मरण और राम के चरित्र का चिंतन से आत्मा के सहज गुणों पवित्रता, प्रसन्नता ,शांति,प्रेम ,ज्ञान, सरलताऔर शक्ति आदि को हम आत्मसात करते हैं और मन के विकार काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार आदि दूर होते हैं।

राम बनने के लिए राम जैसे बनने की इच्छा रखना पहला कदम है। फिर जितना हम अपने अंदर के सद्गुणों का संग्रहण एवं विकास करते जाएंगे राम के करीब पहुंचते जाएंगे। उन्होंने कहा लक्ष्य और साधन के बीच का सामंजस्य ही सफलता है और राम के जीवन से हम यह अच्छी तरह सीख सकते हैं। डॉ. आदित्य शुक्ल ने शिक्षा नीति की समस्या को बताते हुए कहा कि इतिहास सिर्फ घटनाक्रम का वर्णन करता है, जो विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम में शामिल है । जबकि धर्म ग्रंथो में पौराणिक पात्रों को नायक, मार्गदर्शन एवं गुरु कहा जाता है जो जीवन मूल्य का महत्व बताता है । नैतिक गुणों के विकास के उपाय बताते हैं,परंतु हमारे पुराण या धर्म ग्रंथो को हमने सीनियर सिटीजन के लिए छोड़ कर रख दिया है। जिस दिन से स्कूल और विश्वविद्यालय में धर्म ग्रंथो के नायकों के चरित्र एवं उनके द्वारा स्थापित आदर्श का अध्ययन -अध्यापन और चिंतन प्रारंभ हो जाएगा, युवा वर्ग में चरित्र के अभाव की समस्या खत्म हो जाएगी।

इस अवसर पर डॉ आदित्य शुक्ला द्वारा रचित “मेरे राम”ग्रंथ का विमोचन किया गया।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से उपस्थित छत्तीसगढ़ योग आयोग के अध्यक्ष ज्ञानेश शर्मा ने प्रेरक उदबोधन की प्रासंगिकता को प्रतिपादित करते हुए कहा कि समस्त युवा और विद्यार्थियों को राम के स्वरूप के चिंतन का यह वैज्ञानिक और तार्किक दृष्टिकोण सुनना चाहिए। इससे उनके जीवन में राम के गुणों का विकास होगा और जब भारत के युवा वर्ग में दिव्यता प्रकट होगी तो यह विप्र महाविद्यालय की सफलता होगी। इसके पूर्व प्राचार्य डॉ. मेघेश तिवारी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि राम के चरित्र का चिंतन किसी न किसी रूप में हर भारतीय के जीवन में शामिल है। क्या हम राम बन सकते हैं? इस विषय पर प्रेरक उदबोधन से यह समझना होगा कि राम का आदर्श हमारे व्यवहारिक जीवन की सफलता का आधार है।अंत मे विप्र महाविद्यालय परिवार ने शॉल, श्रीफल व स्मृति चिन्ह से राम भक्त डॉ आदित्य शुक्ला का युवा चेतना के इस राष्ट्रव्यापी अभियान के लिए अभिनंदन किया गया।

इस अवसर पर विप्र शिक्षण समिति के अविनाश शुक्ला ,प्रकाश तिवारी, राकेश शर्मा,दुर्गेश तिवारी, डॉ रामस्वरूप शुक्ला ,उषा शुक्ला, नवल किशोर शर्मा , अरुणा शर्मा,प्रियतोष शर्मा, दिनेश शर्मा एवं अमित शुक्ला, कॉलेज के समस्त विद्यार्थी, प्राध्यापक सहित अन्य नागरिकों ने बड़ी संख्या में विजयादशमी पर प्रेरक आयोजन का लाभ लिया।

Share Now

Leave a Response