
रायपुर:भारतीय संविधान के शिल्पी डॉ. भीमराव अंबेडकर के जीवन से जुड़ा एक रोचक प्रसंग याद आता है जब एक बार विदेशी पत्रकारों का प्रतिनिधि मंडल भारत भ्रमण पर आया। यह प्रतिनिधि मंडल जब बाबा साहेब अंबेडकर के नई दिल्ली स्थित निवास पर पहुंचा तो उन्हें आधी रात में भी डॉ. अंबेडकर अपने अध्ययन कक्ष में पढ़ते हुए नजर आये। तब उन्होंने अंगरक्षकों से अंदर प्रवेश की इजाजत के साथ अपना परिचय देते हुए सवाल किया। जब हम अन्य राष्ट्रीय नेताओं के यहां मुलाकात करने उनके निवास पर गये तो वे सोते हुए मिले, मगर इतने रात भी आप जग रहे हैं, इसका क्या कारण है ? बाबा साहब ने कहा बंधुओं, वे इसलिए सोए हुए हैं क्योंकि उनका समाज जगा हुआ है ? उनका नेता सो जायेगा तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा लेकिन जो कौम, वे लोग, वह समाज पिछड़ा हुआ है उनका नेता सो जाएगा तो वह समाज कैसे आगे बढ़ेगा ?
भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर हमारे संविधान निर्माता के रूप में सदैव याद किये जायेंगे। भारत के संविधान में डॉ. अंबेडकर ने मौलिक अधिकारों की व्याख्या जिस प्रकार की है वह विश्व में अद्वितीय है। भारतीय संविधान केवल मौलिक अधिकारों को निरुपित नहीं करता बल्कि इनकी प्राप्ति एवं इनको लागू हेतु विशिष्ट प्रावधान भी इसमें समाहित है। डॉ. बाबा साहब अंबेडकर का जीवन हमें सहसा भगवत् गीता में भगवान कृष्ण द्वारा प्रतिपादित कर्मयोग सिद्धांत की याद दिलाता है। उनका पूरा जीवन ही निष्काम भाव से लोक कल्याण के लिए समर्पित था। वे महान पुरुषार्थी थे और उन्होंने शोषितों और दलितों का उद्धार कर अपनी भीष्म प्रतिज्ञा पूरी की।
बाबा साहब जनसभाओ में अक्सर कहा करते थे-
“शिक्षा उस शेरनी के दूध के समान है,
जो पियेगा वो दहाड़ेगा।”
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार भी समाज के अनुसूचित जाति, जनजाति, पिछड़ा वर्ग सहित सभी वर्गाे के उत्थान की दिशा में कार्य करते हुए बाबा साहेब के आदर्शों पर चल रही है। डॉ. अम्बेडकर ने कार्यस्थल पर कामकाजी महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए साप्ताहिक अवकाश की सुविधा देने की पहल की थी। प्रदेश सरकार महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए महतारी वंदन योजना लागू की है जिसके तहत हर माह एक हजार रूपए प्रदान किए जा रहे हैं।