दिल्ली:भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा बंटोगे तो कटोगे की बात सावधान करने के लिए हो रही है।हमारा तो यही मूलमंत्र है कि
“अनेकता में ऐक्य मंत्र को,
जन-जन फिर अपनाता है।
धीरे-धीरे देश हमारा,
आगे बढ़ता जाता है॥”इसी भाव और देश की इसी प्रगति को छिन्न भिन्न करने के लिए आज भेद पैदा करने का प्रयास हो रहा है।मगर जहां पर हिंदू कमजोर पड़ गया वहाँ सामाजिक न्याय तो भूल जाइए उल्टे वो हिस्सा देश से कट गय।कहा जाता है कि विकास की बात करो पढ़ाई लिखाई काम पे ध्यान दो। उन्होंने कहा याद रखिए।1980’s तक कश्मीरी पंडित काश्मीर में सबसे पढ़ी लिखी बिज़नेस ओरिएंटेड कम्यूनिटी थी मगर आतंक के कारण 1990 में छः महीने में साफ़ हो गये।लाहौर में 1947 तक हिंदू सिख बहूसंख्यक थे विकसित शांतिप्रिय और उसे लिखित मगर साफ़ हो गये।कराची में हिंदू सिंधी और हिंदू पंजाबी दो अधिक जनसंख्या में थे मगर साफ़ हो गये।काबुल में भी यही हाल था 1950’s तक एक तिहाई आबादी हिंदुओं और सिखों की थी विकसित शांतिप्रिय और बिज़नस पर कंट्रोल था मगर साफ़ हो गये।भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा पाकिस्तान के प्रथम क़ानून मंत्री जिन्हें पाकिस्तान का संविधान लिखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जोगेंद्र नाथ मंडल जो अनुसूचित जाति के हिन्दू थे उन्होंने यही सोचा था कि हिन्दू समाज की कुछ जातियों को अलग कर के अपने साथ लेकर मुसलिम्स के साथ सत्ता में रहेंगे मगर अंत में उन्होंने दलितों के साथ जो अत्याचार देखा और उसके बाद उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई तो थक हार का उन्हें अत्यंत पीड़ादायक परिस्थितियों में इस्तीफ़ा देना पड़ा।इसलिए इतिहास के अनेक उदाहरण है जिनसे समझा जा सकता है कि बँटने पर कटना कितना दर्दनाक होता है।