दिल्ली:भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ सुधांशु त्रिवेदी ने कहा भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश का बायोलॉजिक्ल डीएनए तो एक है, आपस में रिश्तेदारियाँ भी है, कोई बहुत भारी भिन्नता नही है, फिर क्या कारण है कि भारत में लोकतंत्र सुदृढ़ रहता पर वहाँ लोकतांत्रिक मज़बूती व स्थिरता नहीं रहती, एक ही कारण है वो है कल्चरल डीएनए, जिस दिन आप हिंदू संस्कृति को छोड़ देते है उस दिन भले ही Biological DNA but Cultural DNA बदल जाता है और डेमोक्रेसी पर संकट आ जाता है।
और यह सिर्फ़ बांग्लादेश में ही नहीं दिख रहा है भारत में भी जो भी इलाक़े कट्टरपंथी ताक़तों के हाथ में है वहाँ पर कितनी उदारता और वास्तविक डेमोक्रेसी की मूल भावना बचती है वह देश जानता है।
और जहाँ तक बांग्लादेश के हिन्दुओं की बात है तो विदेश मंत्री ने बयान दिया है कि भारत सरकार बांग्लादेश की डिफेंस ग्रुप और वहाँ के लोगों के सम्पर्क में है भारत और भारत के लोगों की सुरक्षा के साथ वहाँ पर हिंदुओं के साथ हो रही घटनाओं पर भी पैनी नज़र रखी हुई है और कूटनीति माध्यम से सभी ज़रूरी क़दम उठाए जाएंगे।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा आज के बांग्लादेश में
बिना किसी वजह के हिंदुओं के जो कुछ हो रहा है और सिर्फ़ एक पृथक घटना नहीं है यह एक प्रवृत्ति है जिसका विस्तार इतिहास और भूगोल दोनों में बहुत व्यापक है।इस पर “सेक्युलर सन्निपात” से बाहर निकल कर तर्कसंगत ढंग से सोचने की ज़रूरत है ।
1947 तक पाकिस्तान बांग्लादेश ही नहीं काबुल में भी हिंदुओं और सिक्खों की संख्या और स्थिति बहुत मज़बूत थी, लाहौर करांची ही नहीं काबुल में बिज़नेस में भी उनका भारी कंट्रोल था। लेकिन आज स्थिति क्या है सब जगहों से या तो ख़त्म हो गए या नाम मात्र के हिंदू सिख बचे है।
बहुत दिन तक सुनाया गया
“कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी”
अब काबुल रावलपिडी तो छोड़िये,“चिटगाँव से लेकर सिलहट तक,बस्ती दिखती नहीं तुम्हारी”
उन्होंने कहा CAA में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित होकर भारत की नागरिकता चाहने वालों में 80 % से ज़्यादा ओबीसी और ST SC समुदाय के लोग है जो राजनीतिक दल भारत में तो अपनी राजनीतिक रोटी SC ST & OBC के नाम पर नई नई सेक रहे है उन लोगों को दर्द समझ नहीं आता जो बांग्लादेश में मारे जा रहे हैं।वे CAA का विरोध करते हैं यानी हालात के मारे इन SC ST और OBC को भारत में शरण नहीं दी जाए ।क्योंकि वोट बैंक के तराज़ू पर SC OBC से कहीं बड़ा नहीं पर अधिक तगड़ा और संगठित वोट बैंक दिखाई पड़ जाता है। झट से SC OBC के लिए दिल का सारा दर्द वोट के तराजू से ग़ायब हो जाता है