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Sunday, September 8, 2024
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हेस्टैक एनालिटिक्स और द अमेरिकन लैबोरेटरी ने छत्तीसगढ़ में भारत का पहला यूनिवर्सल इन्फेक्शियस डिजीज (आईडी) जीनोमिक टेस्ट – इनफेक्‍सन™ लॉन्च किया

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रायपुर: : हेस्टैक एनालिटिक्स ने मध्य भारत में छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारत का पहला यूनिवर्सल इन्फेक्शियस डिजीज टेस्ट (आईडी) – इनफेक्‍सन™ लॉन्‍च करने के लिए द अमेरिकन लैबोरेटरी के साथ साझेदारी की है। हेस्टैक एनालिटिक्स भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और डॉ वेलुमणि जैसे हेल्‍थकेयर दिग्‍गज और जीई हेल्‍थकेयर एवं इंटेल जैसी निजी कंपनियों द्वारा समर्थित, आईआईटी बॉम्बे स्थित हेल्थटेक कंपनी है। इस महत्‍वपूर्ण साझेदारी से शहर में संक्रामक बीमारियों की पहचान के लिए दुनिया की पहली आधुनिक जीनोमिक टेस्टिंग टेक्‍नोलॉजी को पेश किया गया है। शहर के डॉक्टर मरीजों की जांच के लिए आधुनिक डायग्‍नोस्टिक क्षमताओं से लैस होंगे और वह रोग की जल्द पहचानकर उनका इलाज शुरू कर सकेंगे। इससे मरीजों को बेहतर नतीजे मिलेंगे।

हेस्टैक एनालिटिक्स ने जीनोम सिक्वेंसिंग के संबंध में लोगों को शिक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण मेडिकल प्रोफेशनल्स को मंच पर लाने की मजबूत पहल की है। ये विशेषज्ञ बताएंगे कि भारत में संक्रामक रोगों की जांच और इलाज के लिए किस तरह होल जीनोम सिक्वेसिंग (डब्ल्यूजीएस) एक क्रांतिकारी वनस्टॉप सोल्यूशन के रूप में उभर सकती है। इन डॉक्टरों में इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन में रायपुर चैप्‍टर के प्रेसिडेंट डॉ. सूर्यप्रकाश साहू (एमबीबीएस, एमडी, इंटरनल मेडिसिन), रायपुर में द अमेरिकन लैबोरेटरी के डायरेक्‍टर डॉ. लवेश रूपरेला (एमबीबीएस, एमडी, डीएनबी-पैथोलॉजी), हेस्टैक एनालिटिक्स के सह-संस्थापक और सीओओ गौरव श्रीवास्तव और हेस्टैक एनालिटिक्स (साइन, आईआईटी, बॉम्बे) में मेडिकल अफेयर्स की डायरेक्‍टर डॉ. महुआदास गुप्ता (एमबीबीएस, एमडी, मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी (पीजीआईएमईआर सीएचडी) एमएचए शामिल हैं।

भारत में संक्रामक रोगों का प्रभाव और फैलने की दर हैरत में डालने वाली है। इसमें सबसे गंभीर स्थिति सेप्सिस है। इससे जीवन को गंभीर खतरा हो सकता है। संक्रमण न झेल पाने के कारण ऑर्गन फेलियर के मामले सामने आते हैं। प्रारंभिक स्टेज पर इसकी पहचान नहीं होती। सेप्सिस से शरीर के कई अंग एक साथ फेल हो सकते हैं। इससे सदमा लग सकता है, व्यक्ति विकलांगता का शिकार हो सकता है और उसकी मौत भी हो सकती है। इस तथ्य को काफी कम लोग जानते हैं, लेकिन भारत में सेप्सिस के सबसे ज्यादा मरीज हैं। दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा सेप्सिस से भारत में मौत होती है। 2020 में अमेरिकन शोधकर्ताओं द्वारा किए गए और लैंसेट में प्रकाशित ग्लोबल स्टडी के अनुसार भारत में सेप्सिस के 11.3 मिलियन रोगी है, जो काफी ज्यादा हैं। यहां सेप्सिस से 2.9 मिलियन लोगों की मौत हुई। इसके अलावा यह संख्या देश भर में इस रोग को गंभीरता से लेते हुए जनस्वास्थ्य से जुड़ी समस्या के जल्द निपटारे की आवश्यक जरूरत पर जोर डालती है।

इन्फेक्सन™ यूनिवर्सल आईडी टेस्ट संक्रामक रोगों की जांच के क्षेत्र में बड़ा बदलाव लेकर आया है। इसमें ऑक्सफोर्ड नैनापोर टेक्नोलॉजी (ओएनटी) सीक्वेंसर और इन्फेक्‍सन™ के ऑटोमोटेड सॉफ्टवेयर का प्रयोग किया गया है, जिससे जांच के वास्तविक नतीजे सामने आते हैं। यह नया टेस्ट संक्रमण फैलाने वाले एजेंट्स की पहचान और उनका वर्गीकरण करता है। इससे समय पर, सटीक और प्रभावी इलाज शुरू किया जा सकता है। पैथोजेन्स के जेनेटिक मटीरियल का विश्लेषण कर, यह टेस्ट संक्रामक रोगों की संरचना, विषाणु के प्रकार और दवा प्रतिरोधक पैटर्न के बारे में जानकारी प्रदान करता है।

मध्य भारत में हेल्थकेयर इंडस्ट्री में क्रांति करने वाले इस नए क्रांतिकारी सोल्यूशन के बारे में बताते हुए इंडियन सोसाइटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन की रायपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. सूर्य प्रकाश साहू (एमबीबीएस, एमडी, इंटरनल मेडिसिन) ने कहा, “इस टेस्ट की ताकत 1200+ पैथोजन्स, सभी बैक्टीरिया और फंगस की पहचान करने की इसकी क्षमता में है। इसके साथ ही इस टेस्ट से एंटी-माइक्रोबियल जीन की भी पहचान होती है। इससे डॉक्टर किसी रोग का प्रभावी इलाज की शुरुआत करने में सक्षम होते हैं। 12 घंटे के भीतर प्रोसेस टाइम और सैंपल के शीघ्र विश्लेषण से यह पारंपरिक माइक्रोबियल कल्चर की सीमाओं को पार कर जाता है, जिससे तेजी से टेस्ट होता है और संतोषजनक परिणाम मिलते हैं।”

हेस्टैक एनालिटिक्स के सह-संस्थापक और सीओओ गौरव श्रीवास्तव ने सेप्सिस और दूसरी

द अमेरिकन लैबोरेटरी के निदेशक डॉ. लवेश रूपरेला (एमबीबीएस, एमडी, डीएनबी, पैथोलॉजी) ने कहा, “हमें हेस्टैक एनालिटिक्स के साथ अपनी साझेदारी से बहुत आशा है। द अमेरिकन लैबोरेटरी देश मे संक्रामक रोगों का टेस्ट प्रदान करने वाली पहली लैब बन गई है। इसकी शुरुआत रायपुर से हो रही है। जीनोमिक्स और संक्रामक रोग के संबंध में शोध में अपनी विशेषज्ञता का समावेश कर रायपुर के डॉक्टरों ने संक्रामक रोगों का प्रभावी तरीके से निपटने का ताकतवर उपकरण मुहैया कराया है। इसके साथ हम जल्द ही अपनी साझेदारी के अगले चरण में प्रवेश करेंगे। इस चरण में हम अपने पोर्टफोलियो में हेस्टैक एनालिटिक्स का Ωटीबी® टेस्ट (जिसे ओमेगा टीबी के नाम से पुकारा जाता है) भी शुरू करेंगे। इससे नेक्सट जेनरेशन सीक्वेसिंग की मदद से टीबी रोगियों के लिए प्रतिरोधक दवाओं की तेजी से पहचान की जा सकती है।”

द अमेरिकन लैबोरेटरी के विषय में
द अमेरिकन लैबोरेटरी एक सुपर स्पेश्यलिटी डायग्नोस्टिक लैब है। यह छत्तीसगढ़ में कई तरह के क्लिनिकल टेस्‍ट कराने के कार्य में संलग्‍न है। द अमेरिकन लैबोरेटरी अपने उच्च शिक्षित और प्रशिक्षित स्टाफ के माध्यम से लैब का संचालन कर रहा है। लैब में ये क्लिनिकल टेस्ट सर्वश्रेष्ठ गुणवत्ता कायम रखने के लिए आधुनिक मशीनरी, गैजेट और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर से किए जाते हैं। इस लैबोरेटरी को ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी में विशेषज्ञता हासिल है, जो राज्य के लोगों की तत्काल जरूरत है।

हेस्टैक एनालिटिक्स के विषय में
हेस्टैक एनालिटिक्स आईआईटी बॉम्बे की हेल्थटेक कंपनी है, जो क्लिनिकल जीनोंमिक्स प्रॉडक्ट्स बनाती है। यह डायग्नोस्टिक लैब्स और अस्पतालों को मरीजों को सटीक और व्यक्तिगत जांच की सुविधा प्रदान करने में सक्षम बनाती है। इसे भारत की सबसे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक एजेंसियों (डीएसटी, बीआईआरएसी, डीबीटी) का समर्थन हासिल है। हेस्टैक एनालिटिक्स ने अपने उत्पादों का नया संग्रह बनाया है, जिसमें संक्रामक और पुरानी बीमारियों की जांच और इलाज में जीनोमिक्स की सेवाएं दी जाती हैं। कंपनी को कुछ नए हेल्थकेयर स्टार्टअप पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिसमें हेल्थकेयर स्टार्टअप्स के लिए सीएएचओ टेकपिचफेस्ट, एंटरप्रेन्योर मैगजीन की ओर से हेल्थकेयर स्टार्टअप ऑफ द ईयर अवॉर्ड शामिल है। कंपनी को एजिस ग्राहम बेल अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। नई दिल्ली में बीआईआरएसी स्टार्टअप एक्सपो 2022 में हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने टीबी मरीजों के लिए रोग प्रतिरोधक दवाओं की जल्द पहचान के लिए हेस्टैक एनालिटिक्स का प्लेटफॉर्म लॉन्च किया।

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