नई दिल्ली:भारत में हर साल कई भाषाओं में बहुत सी फिल्मों का निर्माण होता है. क्षेत्रीय भाषाओं की लंबी लिस्ट देखकर ये कहा जा सकता है कि भारत की फिल्म इंड्स्ट्री का दुनिया भर में कोई मुकाबला नहीं है.कुछ फिल्में तो ऐसी हैं जो आज भी दुनियाभर की टॉप 100 मूवीज की लिस्ट में शामिल हैं.गुरुदत्त की प्यासा एक आइकोनिक फिल्म है. जिसकी स्टोरीलाइन से लेकर एक्टिंग और गीत संगीत भी लाजवाब है. इस क्लासिक मूवी में गुरुदत्त बने हैं एक शायर जिनकी शायरी को सही कद्रदान नहीं मिलते. पाथेर पांचाली 1910 के पश्चिम बंगाल की पृष्टभूमि पर तैयार इस फिल्म को भी कोई तोड़ नहीं है. इस नाम से बिभूतिभूषण बंदोपाध्यायन ने बंगाली में एक उपन्यास लिखा था. जिस पर फिल्म बनी. फिल्म की कहानी अपू और उसकी बड़ी बहन दुर्गा के किरदार के इर्द गिर्द घूमता है. फिल्म नायकन कमल हासन की चुनिंदा और शानदार फिल्मों में से एक है. इस फिल्म को टाइम मैग्जीन ने दुनिया की सौ सबसे बेहतरीन फिल्मों में जगह दी है. 1987 में रिलीज होने के बाद फिल्म 75 दिन तक सिनेमाघर में लगी रही. फिल्म इतनी हिट हुई कि हिंदी में इसे दयावान के नाम से फिर बनाया गया.