रायपुर/:। कांग्रेस ने कहा कि प्रदेश भर में ईडी की छापेमारी भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है । प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा भाजपा को पता है कि वह चुनाव हार रही है कुछ भी कर लें छत्तीसगढ़ में सीधे चुनाव नही जीत सकती है उसके पास कांग्रेस के खिलाफ कोई मुद्दे नही है तो प्रदेश में भ्रम का माहौल बनाने ईडी की छापेमार कार्यवाहिया करवाई जा रही है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा किया है.। राज्य में अभी तक ईडी ने केंद्र सरकार के इशारे पर पिछले तीन सालों में सैकड़ो कार्यवाहियां की लेकिन हासिल कुछ नही हुआ । कुछ अधिकारियों कुछ व्यापारियों के खिलाफ कार्यवाही की गई कुछ कांग्रेस नेताओं के यहा भी राजनैतिक विद्वेष के कारण कार्यवाही की गई लेकिन हासिल कुछ नही हुआ ।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा ईडी भाजपा की केंद्र सरकार के इशारे पर राज्य में झूठे भ्रष्टाचार का आवरण बनाने कार्यवाही कर रही लेकिन प्रदेश की जनता यह जान गई है कि ईडी की कार्यवाहियां चुनाव में हार के भय से डरी हुई भाजपा की हताशा है । क्या पूरे देश मे सारी गड़बड़िया सिर्फ छत्तीसगढ़ में हो रही जो यही कार्यवाहियां हो रही ।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन सरकार ने गरीबों के राशन में डाका डाला 36000 करोड़ का राशन घोटाला कर दिया। इसकी जांच के लिये भी मुख्यमंत्री ने ईडी और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा था। रमन सिंह के नान घोटाले की ईडी से जांच क्यों नहीं करवाते? रमन के मुख्यमंत्री रहते 36000 करोड़ का नान घोटाला हुआ था। नान घोटाले में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और उनके परिजनों के संलिप्त होने के प्रमाण नान डायरी में आये। जिसमें सीएम मैडम, ऐश्वर्या रेसीडेंसी वाली मैडम, सीएम सर सहित दर्जनों ऐसी प्रविष्टियां मिली थी। जिसका इशारा सीधे तत्कालीन सत्ता के केन्द्र की ओर जाता था। रमन सिंह बताते क्यों नहीं कि नान डायरी वाली सीएम मैडम कौन है? जिनके नाम से करोड़ो रू. की इंन्ट्री नान डायरी में है। नान घोटाला छत्तीसगढ़ के गरीबो के चावल में प्रभावशाली लोगो द्वारा की गयी डकैती थी। इसके गुनाहगारों के नाम सामने आने ही चाहिये।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि रमन राज में राज्य की जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटने का खेल सरकारी संरक्षण में हुआ प्रदेश की जनता के 6000 करोड़ से अधिक की रकम चिटफंड कंपनियों ने डकार लिया था। इन चिटफंड कंपनियों को तत्कालीन भाजपा सरकार और सरकार में बैठे हुये लोगों की संरक्षण था। खुद मुख्यमंत्री, डॉ. रमन सिंह; उनके सांसद पुत्र, अभिषेक सिंह; उनकी पत्नी, श्रीमती वीणा सिंह; भाजपाई मंत्री, सांसद व प्रदेश के आला अधिकारी ‘रोजगार मेलों’ के माध्यम से इन चिटफंड कंपनियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सीधे तौर से शामिल हुए। सरकार द्वारा बाकायदा इन कार्यक्रमों के निमंत्रण दिए गए। भोली भाली जनता को लगा कि भाजपाई सरकार इन चिटफंड कंपनियों की साझेदार है और जीवन की सारी कमाई इन घोटालों और गड़बड़झालों में लुटा दी। 6000 करोड़ रू. के इस घोटाले की ईडी से जांच के लिये प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री और ईडी के डायरेक्टर को जांच के लिये पत्र लिखा था। केंद्र सरकार रमन सरकार के घोटाले की जांच क्यों नहीं करवाती है? आखिर यह तो राज्य की जनता से सीधी लूट थी और इसमें रूपयों का अवैध लेन देन भी हुआ है फिर जांच से परहेज क्यों?
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा की रमन सरकार में गौमाता के नाम पर 1677 करोड़ का घोटाला कर दिया गया। रमन राज में गौशालाओं के नाम पर 1677.67 करोड़ रू. भाजपाईयों ने गौशाला के नाम पर डकारा। रमन राज में 15 साल में 17000 से अधिक गायों की मौतें भूख से, बिना चारा पानी के तड़प कर हुई। 15 साल तक गौशालाओं को प्रतिदिन आहार के नाम पर 115 गौशालाओं को प्रतिदिन 28 लाख 75 हजार रु. से अधिक राशि दिया जाता था। इसकी कुल राशि होती है एक साल में 1 अरब 4 करोड़ 93 लाख 75 हजार, 15 साल में 1560 करोड़ का गौशालाओं में चारा के नाम पर दिया गया। 20 हजार रु. पशुओं की दवाइयों के लिए हर माह दिया जाता था प्रत्येक गौशाला को एक साल में 2 लाख 40 हजार रुपया दिया गया। 115 गोशाला को एक साल दवाई के नाम से 2 करोड़ 76 लाख रु. 15 साल में 41.5 करोड़ रु. के करीब दिया गया। शेड निर्माण, बोरवेल, बिजली व्यवस्था के अलावा अन्य खर्चों के नाम से 76 करोड़ रू. बंदरबाट किया। गौशाला को लगभग 5 से 10 एकड़ सरकारी जमीन आवंटित किया गया। 15 साल में लगभग 1000 एकड़ से अधिक के जमीन, भाजपा नेताओं ने गौशाला के नाम से लिया और उसका निजी उपयोग किया। स्वयं को गौसेवक बताने वाली भाजपा गौमाता के नाम पर घपला करने वालों पर कार्यवाही कब करेगी? ईडी इस घोटाले की जांच क्यों नहीं करती है?