
दिल्ली:अप्रैल 4 को सर्वोच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने बंगाल एसएससी की परीक्षा 2016 के मामले में कोलकाता उच्च न्यायलय के परीक्षा रद्द करने के अप्रेल 2024 के आदेश को बरकरार रखा।ज्ञात हो कि बंगाल के इस 25000 शिक्षको की भर्ती में घोर अनियमितता बरती गई थी।सीबीआई द्वारा मारे गए छापे में शिक्षा मंत्री पार्थो घोष और उनकी महिला मित्र के निवास से करोड़ो नोटों का जखीरा बरामद किया था।प्रकरण में कोलकोता उच्च न्यायालय द्वारा इन्ही अनियमिता,भाई भतीजावाद और अपर्दाशिता के कारण पूरी भर्ती को निरस्त कर दिया गया था जिसे बंगाल सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में चुनोउती दी गई थी।इसे भी सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अमान्य कर पूर्व फैसला को बरकरार रखा गया है।इससे 25 हज़ार शिक्षक सड़क पर आ गए हैं।इस स्थिति से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के लिए अप्रिय स्थिति निर्मित हो गई है कि कैसे इससे निपटे।वैसे आंदोलित शिक्षकों को आश्वासन दिया गया है पर पूरी प्रकिया भष्ट्राचार की भेंट चढ़ गई है।
*छत्तीसगढ़*
इसी प्रकार छत्तीसगढ़ की 2005 की लोक सेवा आयोग की परीक्षा की कतिपय गड़बड़ी के कारण जिससे मेरिट सूची प्रभावित हुई है,उसे बिलासपुर उच्च न्यायालय द्वारा *वर्षा डोंगरे* की याचिका को निरस्त किया गया था।किन्तु कुछ सफल अभ्यथियों द्वारा 2016 में सर्वोच्च न्यायालय में अपील की गई है।इसमें से कई डिप्टी कलेक्टर जिन्हें मेरिट में नीचे का निर्णय था उन्हें आईएएस भी सशर्त अवार्ड हो गया है और कुछ जिलों में कलेक्टरी भी कर रहें है।तारीख में तारीख लगने के बाद भी प्रकरण स्थगन की स्थिति में ही है।और जो लोग उच्च न्यायालय द्वारा परवर्तित मेरिट में आये है वे निर्णय की बाट जोड़ रहे हैं और जिनकी नियुक्ति रदद् होनी थी पर वे आईएएस भी बन गए हैं। एक तरफ तो बंगाल के प्रकरण में मात्र 1 वर्ष के अंदर ही अंतिम निर्णय हो गया वही छत्तीसगढ़ का प्रकरण 10 वर्षो से लंबित है।
*क्या बंगाल के समान छत्तीसगढ़ के परीक्षाथियों को न्याय मिलेगा??*