दुर्ग: संदीपनी अकादमी, अछोटी और वीतराग रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी “भारतीय ज्ञान प्रणाली को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने” का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी का उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणाली (आईकेएस) को राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 के अनुरूप समकालीन पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए रूपरेखा विकसित करना था।
संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि डॉ. धीरेंद्र शर्मा और विशिष्ट अतिथि डॉ. राजेश पांडे, डॉ. आलोक शर्मा, और डॉ. दीपा दास उपस्थित रहे। संसाधन व्यक्तियों में पोलैंड से क्रिज़टोफ़ स्टेक, जर्मनी से डॉ. मंजू गुंडुमोगुला, डॉ. रुचिका सिंह, और डॉ. दीपेंद्र मोहन सिंह ने अपने विचार साझा किए।
कार्यक्रम का स्वागत संबोधन संदीपनी अकादमी की प्राचार्य डॉ. स्वाति श्रीवास्तव द्वारा किया गया। कार्यक्रम का अवलोकन संरक्षक डॉ. दिव्या शर्मा ने प्रस्तुत किया। निदेशक महेंद्र चौबे ने संगोष्ठी के उद्देश्यों और महत्व पर प्रकाश डाला।
समापन सत्र के मुख्य अतिथि डॉ. आर. एन. सिंह (प्रो वाइस चांसलर, भारती यूनिवर्सिटी, दुर्ग) और विशेष अतिथि डॉ. राजीव चौधरी (प्रोफेसर, रविशंकर विश्वविद्यालय, रायपुर) ने संबोधन दिया। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में डॉ. शिशिर्कणा भट्टाचार्य और डॉ. एम. विजयलक्ष्मी ने विचार रखे।कार्यक्रम का कुशल संचालन संयोजन सचिव डॉ रोली तिवारी द्वारा किया गया।संगोष्ठी में भारत के विभिन्न भागों से 250 प्रतिभागी और 30 देशों से अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया।-सर्वश्रेष्ठ शोध पत्र पुरस्कार तुकेश वर्मा और रश्मीत कौर को प्रदान किया गया।
सभी प्रतिभागियों और गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह और प्रमाण पत्र प्रदान किए गए।यह संगोष्ठी भारतीय ज्ञान प्रणाली को समकालीन शिक्षा प्रणाली में एकीकृत करने के दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल साबित हुई।