रायपुर: ज्योतिषाचार्य , श्रीविद्या के उपासक ब्रह्मचारी डॉ. इन्दूभवानन्द ने कहा है कि लक्ष्मी पूजन के लिए प्रदीष काल एवं वृष लग्न का रहना आवश्यक होता है, वृष लग्न स्थिर होता है। स्थिर लग्न में मां लक्ष्मी के पूजन से धनलक्ष्मी स्थिर होती है। अत 31 अक्टूबर, गुरुवार को ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। उन्होंने बताया कि कार्तिक कृष्ण अमावस्या को लक्ष्मी पूजन का विधान प्राप्त होता है। इस वर्ष लक्ष्मी पूजन में कुछ असमंजस की स्थिति बन रही है। संवत 2081 कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी गुरुवार, 31 अक्टूबर को अमावस्या तिथि काशी के मान्य पंचांग ऋषिकेश के अनुसार 21 घटी 53 पर अर्थात् सार्यकाल 3:12 बजे से प्रारंभ हो रही है, जो दूसरे दिन शुक्रवार, 1 नवंबर को सायंकाल 5:14 बजे समाप्त हो जाएगी। दूसरे दिन शुक्रवार को अमावस्या तिथि प्रदोष काल में न होने के कारण शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी पूजन 31 अक्टूबर कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी गुरुवार को ही करना चाहिए। शंकराचार्य आश्रम के प्रभारी व
ज्योतिषाचार्य इंदुभवानंद डॉ के अनुसार इस वर्ष धनतेरस का पूजन कार्तिक कृष्ण द्वादशी मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024 को करना चाहिए। धनतेरस के दिन कुछ नया सामान पर में लाने से धन की वृद्धि के संकेत प्राप्त होते हैं। बुधवार, 30 अक्टूबर कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को नरक चतुर्दशी रूप में चतुर्दशी का व्रत मनाना चाहिए। इस पुनीत प्रसंग पर प्रातःकाल ब्रश्म मुहूर्त में उठकर शरीर में तेल लगाकर स्नान करना चाहिए तथा पितरों के निमित्त दीपदान भी करना चाहिए। कार्तिक कृष्ण अमावस्या शुक्रवार, नवंबर को अन्नकूट गोवर्धन पूजा नहीं होगी। अन्नकूट गोवर्धन पूजा और गो क्रीड़ा 2 नवंबर कार्तिक शुक्ल द्वितीया शनिवार को होगी तथा भाई-बहन का पवित्र पर्व भाई दूज, वहन के घर भोजन का कार्यक्रम रविवार, 3 नवंबर कार्तिक शुक्ल द्वितीया को संपन्न होगा।