रायपुर:हमारे आपके सामने प्रतिदिन अनेक दृश्य उपस्थित होते हैं। उन दृश्यों को देखने की हमारी और आपकी दृष्टि क्या है यही महत्वपूर्ण होता है। किसी दृश्य को देखकर कोई दुःखी होता है और कोई उसी दृश्य से आनन्दित हो जाता है। दृश्य तो एक ही है। फिर एक ही दृश्य अलग अलग परिणाम कैसे उत्पन्न कर रहा ? कहना होगा कि दृश्य नहीं, अपितु दृष्टि ही महत्वपूर्ण होती है। यदि हमारी दृष्टि में आनन्द बस जाए तो हमें सर्वत्र आनन्द ही आनन्द दिखाई देगा।
उक्त उदगार उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य स्वामिश्रीः अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ ने चातुर्मास्य प्रवचन के अन्तर्गत परमहंसी गंगा आश्रम में चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के अवसर पर कही।
उन्होंने कहा कि जीवन में हमें जो कुछ भी उस पर पिता परमात्मा से मिला है उसके लिए उसका धन्यवाद करना चाहिए। अधिकतर लोग मिले हुए की उपेक्षा करके जो अप्राप्त है उसी के लिए दुःख मनाते रहते हैं। ऐसा नही करना चाहिए।
आगे कहा कि मनुष्य का शरीर हमें भगवान् की असीम कृपा से मिला है। इसका सदुपयोग करना चाहिए। दुःख मनाते हुए इस अमूल्य जीवन को नष्ट नहीं करना चाहिए।पूज्य शङ्कराचार्य जी के प्रवचन के पूर्व परम पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज भागवत कथा पंडाल पर पहुंचे जहाँ पर संस्कृत विद्या पीठ गुरुकुल एवं बनारस में अध्ययनरत छात्रों के द्वारा पूज्य शंकराचार्य जी महाराज का हर हर महादेव एवं जय गुरुदेव के जयघोष के साथ स्वागत किया पूज्य महाराजा श्री, ने मंच पर पहुंचते ही, सर्वप्रथम ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के, तैल चित्र पर पूजन अर्चन किया उसके उपरांत वह व्यास पीठ पर आसीन हुए जहां पर आज श्री मद भागवत कथा के यजमान रहे ,अजीत शिखा दुबे,शिवानंद दुबे कुमारी मानसी तिवारी,(जगतगुरु कुलम झोतेश्वर) रहे इनके साथ बलराम बघेल ने पादुका पूजन कर व्यासपीठ का पूजन किया और शंकराचार्य जी का आशीर्वाद लिया वही राजाराम पटैल के द्वारा भजनों की प्रस्तुति की गई वही रामजी साहू ब्रद्धाश्रम झोतेश्वर ने भजन गया सस्कृत गुरुकुल पीठ के छात्र अर्पित पांडे,ने भजन सुनाया वही केश तिवारी,रोहित पांडे ने अथर्ववेद का पाठ किया।
वही, मंच पर प्रमुख रूप से ब्रह्मलीन द्विपीठाधीश्वर जी के शिष्य व रामजन्म भूमि मुकदमे में हिन्दुओ का पक्ष प्रस्तुत करने वाले विद्वान् अधिवक्ता डा परमेश्वर नाथ मिश्र जी उपस्थित रहे।, जिन्होंने अपने विचार व्यक्त किए पूज्यपाद शङ्कराचार्य महाराज ने उत्तरीय व पुष्पहार पहनाकर उनका अभिनन्दन किया। अशोक त्रिपाठी ने काव्य कृति भेट की और कविता भी सुनाई, मंच पर प्रमुख रूप से शंकराचार्य महाराज के निजी सचिव चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष *ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द , ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री , गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री, दंडी स्वामी अमरिसानन्द महाराज,पं,राजकुमार तिवारी, ब्रह्मचारी निर्विकल्प स्वरूप ,ब्रह्मचारी,आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संयोजन अरविन्द मिश्र*एवं संचालन ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द ने किया,कार्यक्रम में ब्रम्हचारी अचलानंद ब्रम्हचारी राघवानंद ब्रम्हचारी विमलानंद , परमहंसी गंगा आश्रम व्यवस्थापक सुंदर पांडे,पूज्यपाद शङ्कराचार्य जी महाराज की पूर्णाभिषिक्त शिष्या साध्वी पूर्णाम्बा एवं साध्वी शारदाम्बा उपस्तिथ थी।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से पंडित आनंद तिवारी सोहन तिवारी पं सुनील शर्मा माधव शर्मा रघुवीर प्रसाद तिवारी राजकुमार तिवारी,दीपक शुक्ला,अमित तिवारी आशीष तिवारी,रघुवीर तिवारी विभास चौधरी,नवीन उपाध्याय हाथरस कवि नरसिंहपुर, राम सजीवन शुक्ला वरिस्ट नागरिक मंच नरसिंहपुर से पं रामस्वरूप शर्मा,अनिल राय,पं सीबी शर्मा,पं सीपी मिश्रा, दामोदर दास गोस्वामी, आर के वर्मा,ए के वर्मा ने शंकराचार्य जी को शमी का वृक्ष भेट किया संजय भारद्वाज सिवनी,वसन्त दुबे,जगदीश कुशवाहा, इमरत कुशवाहा,संतोष,मंजल कुशवाहा,देवकरण, बद्री चौकसे,नारायण गुप्ता ,जगदीश पटैल,कलू पटैल,अरविंद पटैल, अजय विश्कर्मा,रामकुमार तिवारी,सत्येंद्र मेहरा,कपिल नायक सहित श्री मद भागवत पुराण का रस पान करने बड़ी संख्या में गुरु भक्तों की उपस्थिति रही सभी ने कथा का रसपान कर अपने मानव जीवन को धन्य बनाया भागवत भगवान की कथा आरती के उपरांत महाभोग प्रसाद का वितरण किया गया