नई दिल्ली:सज्जनो का संग सत्संग कहलाता है। जितनी देर मनुष्य सत्संग करता है उतनी देर सांसारिक प्रपंचों से दूर रहता है। सत्संग से मन आसक्तिरहित हो जाता है। यदि मोहरूपी बन्धन को काटना हो तो सत्संगरूपी तलवार का प्रयोग करिए।
उक्त बातें उत्तराम्नाय ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ‘1008’ ने चातुर्मास्य प्रवचन के अवसर सत्संग पर कही।
उन्होंने कहा कि भगवान् ने हमें जो भी कुछ दिया है वह हमारे कर्मों के अनुरूप दिया है। हमें उनके दिए धन का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए अपितु वह धन भगवान् के कार्य में ही लगाना चाहिए। जबकि अक्सर ऐसा होता है कि हम भगवान् के दिए धन को अपना मानकर स्वयं को ही मालिक समझने लगते हैं जबकि धन अर्थात् लक्ष्मी के असली स्वामी तो भगवान् ही हैं।
विद्या की महत्ता बताते हुए कहा कि विद्या तीन प्रकार से प्राप्त की जाती है। एक गुरु की सेवा से, दूसरा बहुत अधिक धन देकर विद्या प्राप्त की जा सकती है और तीसरे एक विद्या के बदले दूसरी विद्या का विनिमय करके। इसके अतिरिक्त विद्या की प्राप्ति का और कोई भी मार्ग नहीं है। आज भी जो छात्र विद्यालय के समय के अतिरिक्त समय में गुरु के घर जाकर उनकी बताई हुई सेवा करके पढते हैं उनको विद्या जल्दी आ जाती है।
आगे कहा कि डिग्री के लिए पढाई करने पर लोग डिग्रीवान् तो बन जाएंगे पर विद्यावान् बनने के लिए सही मायने में ज्ञान अर्जित करना चाहिए। आज भी ज्ञान का महत्व डिग्री से अधिक है। जो ज्ञानी होता है वह सर्वत्र सम्मानित होता है।
शंकराचार्य के प्रवचन के पूर्व परम पूज्य शङ्कराचार्य जी महाराज भागवत कथा पंडाल पर पहुंचे जहाँ पर संस्कृत विद्या पीठ गुरुकुल एवं बनारस में अध्ययनरत छात्रों के द्वारा पूज्य शंकराचार्य महाराज का हर हर महादेव एवं जय गुरुदेव के जयघोष के साथ स्वागत किया पूज्य महाराजा श्री, ने मंच पर पहुंचते ही, सर्वप्रथम ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के, तैल चित्र पर पूजन अर्चन किया उसके उपरांत वह व्यास पीठ पर आसीन हुए जहां पर आज श्री मद भागवत कथा के यजमान रहे रामकृपेश्वर उपाध्याय, प्रियंका उपाध्याय,(कवर्धा छत्तीसगढ़) सुदीप अग्रवाल सीमा अग्रवाल,(मेरठ उ,प्र) रहे जिहोंने पादुका पूजन भी किया इनके साथ पादुका पूजन इन्होंने भी की चंद्रप्रकाश सिंह राजपूत टिकरी ,हनुमंत पटैल, भानमती पटैल पौनिया कुकलाह के दुआरा की गई वही आकाशवाणी कलाकार संदीप तिवारी, शिवानी अवस्थी, रामबालक बैध,चंदन यादव एंड पार्टी कंजई के दुआरा भजनों की प्रस्तुति की गई।
मंच पर प्रमुख रूप से, शंकराचार्य महाराज की निजी सचिव चातुर्मास्य समारोह समिति के अध्यक्ष *ब्रह्मचारी सुबुद्धानन्द , ज्योतिष्पीठ पण्डित आचार्य रविशंकर द्विवेदी शास्त्री, गुरुकुल संस्कृत विद्यालय के उप प्राचार्य पं राजेन्द्र शास्त्री, ब्रह्मचारी निर्विकल्पस्वरूप ,दंडी स्वामी अमरिसानन्द महाराज राजकुमार तिवारी,आदि ने अपने विचार व्यक्त किए। मंच का संयोजन अरविन्द मिश्र* एवं संचालन *ब्रह्मचारी ब्रह्मविद्यानन्द ने किया।